अधिवक्ता परिषद के बैनर तले महिला सशक्तिकरण पर आयोजित हुई संगोष्ठी
चूहा दौड़ और सौंदर्य प्रतियोगिता से दूर रहे महिलाएं: डॉ रचना तिवारी
मुह्हमद इमरान बक्शी (एडिटर/चीफ)
सोनभद्र। अधिवक्ता परिषद सोनभद्र के बैनर तले कचहरी परिसर स्थित सोबाए सभागार में मंगलवार को देर शाम महिला सशक्तिकरण पर एक संगोष्ठी परिषद के इकाई अध्यक्ष शशांक शेखर कात्यायन की अध्यक्षता में आयोजित हुई। संचालन राजीव सिंह गौतम ने तथा मंचस्थ अतिथियों का स्वागत परिषद के महामंत्री नीरज कुमार सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता जनपद सोनभद्र की गौरव, हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर एवं देश प्रदेश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हिंदी गीतों के लिए सुर्खियां बटोरने वाली अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों की नामचीन कवयित्री गीतकार डॉ रचना तिवारी जहां प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं वही मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ महिला अधिवक्ता पूनम सिंह व विशिष्ट अतिथि के रूप में अधिवक्ता परिषद के संरक्षक द्वय सूर्य प्रताप सिंह व अमरेश चंद्र पांडेय मंचासीन रहे।
महिला सशक्तिकरण पर जनपद सोनभद्र की गौरव एवं सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका डॉ रचना तिवारी ने कहा कि सही मायने में तभी महिला सशक्तिकरण सार्थक सिद्ध हो सकेगा जब महिलाओं के बारे में हमारी सोच उत्तम होगी। आगे कहा वही महिला सशक्त है जिस महिला के सर पर आंचल हो। उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि महिलाएं आदिकाल से ही सशक्त रही हैं । बावजूद इसके आज के इस चकाचौंध में सशक्त रहने के लिए महिलाओं को अपनी इच्छाशक्ति के साथ उद्देश्य
चुनना होगा।
डॉ रचना तिवारी ने आगे यह भी कहा कि वर्तमान परिवेश में हमें चूहा दौड़ व सौंदर्य प्रतियोगिताओं में सम्मिलित नहीं होना चाहिए,उससे बचना चाहिए। इसे और परिभाषित करते हुए कहां अंधी दौड़ अंधे कुएं की ओर ले जाती है। मुख्य अतिथि पूनम सिंह एवं विशिष्ठ अतिथियों सूर्य प्रताप सिंह और अमरेश चंद्र पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि,भारतीय संदर्भ में महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण करें तो उसे तीन काल खंडों में विभाजित किया जा सकता है । इसे और परिभाषित करते हुए कहा कि प्राचीन काल खंड में हमारे भारत देश में महिलाओं की स्थिति अत्यंत सुदृढ़ थी और उन्हें हर क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में भी अधिक अच्छी स्थिति प्राप्त थी, लेकिन मध्यकाल में बाहरी आक्रांतओ द्वारा किए गए हमलों से अपने घर की महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए उन्हें घर की देहरी तक सीमित कर दिया जिस कारण महिलाओं की स्थिति में थोड़ी गिरावट आई किंतु वर्तमान समय में पुनः महिलाओं की स्थिति अपने प्राचीन काल के रूप में विकसित होते हुए दिखाई दे रही है और बच्चियां हर क्षेत्रों में बच्चों की तुलना में कहीं अधिक सफलता अर्जित कर रही है। उन क्षेत्रों में भी बच्चियों ने अपनी भागीदारी और अपना कौशल दिखाना शुरू कर दिया है जहां उनके होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी जैसे सेना और अंतरिक्ष की यात्रा। संगोष्ठी को अर्पिता मालवीय व स्वयं प्रभा ने भी संबोधित किया।
विषय प्रर्वतन पवन मिश्रा ने किया इसके पूर्व मुख्य वक्ता समेत महिला अतिथियों का अंगवस्त्रम ओढ़ा कर परिषद की ओर से सम्मानित किया गया। इस मौके पर महिला अधिवक्ता चंदा पांडेय, पूनम, कोमल सिंह, वर्तिका केशरी, व वरिष्ठ अधिवक्ता संजीत चौबे,कृष्ण प्रताप सिंह, सर्वेश मिश्रा, सुनील मालवीय, उमेश मिश्र ,मदन चौबे, जितेंद्र देव पांडेय,राघवेंद्र त्रिपाठी आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।