आईआईटी-बीएचयू के साथ मिलकर एनसीएल ने रख -रखाव एवं मरम्मत तकनीकों पर की कार्यशाला* *टीम एनसीएल की क्षमता असीमित, और बड़े लक्ष्यों के लिए रहें तैयार : सीएमडी एनसीएल श्री भोला सिंह
मुहम्मद इमरान बख्शी (चीफ एडिटर)
देश समाचार (सोनभद्र/सिंगरौली)भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) ने शुक्रवार को आईआईटी-बीएचयू, वाराणसी के साथ मिलकर केन्द्रीय कर्मशाला (सीडबल्यूएस), जयंत में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यक्रम में एनसीएल में नियोजित विभिन्न मशीनों के रख -रखाव, उनके कल-पुर्जों की मरम्मत क्षमता, विश्वसनीयता व गुणवत्ता युक्त तकनिकियों का प्रयोग एवं सतत सुधार जैसे विषयों पर गहनता से मंथन किया गया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सीएमडी एनसीएल श्री भोला सिंह, निदेशक (तकनीकी/ संचालन) डॉ अनिंद्य सिन्हा, निदेशक (कार्मिक) श्री मनीष कुमार, निदेशक (वित्त) श्री रजनीश नारायण, निदेशक (तकनीकी /परियोजना एवं योजना) श्री जितेंद्र मलिक, महाप्रबंधक (उत्खनन) श्री भारतेन्दु कुमार, महाप्रबंधक(शोध एवं विकास) श्री पी डी राठी, सभी क्षेत्रों के महाप्रबंधकगण, उत्खनन व विद्युत एवं यांत्रिक के विभागाध्यक्षगण, एवं परियोजनाओं के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए सीएमडी एनसीएल श्री भोला सिंह ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ समय से पूर्व लक्ष्य हासिल करने के लिए एनसीएल परिवार को बधाई दी। उन्होने एनसीएल को असीमित क्षमता वाली कंपनी बताया और आने वाले समय में ऊर्जा आत्मनिर्भरता के आलोक में बड़े लक्ष्यों के लिए तैयार रहने हेतु आह्वान किया । सीएमडी ने कहा कि यह कार्यशाला आगामी लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में मील की पत्थर साबित होगी। उन्होने कहा कि हमें अपनी विभागीय उत्पादकता बढ़ानी होगी। साथ ही अपनी मशीनों की क्षमता उपयोगिता में भी वृद्धि करनी होगी। मरम्मत एवं रख-रखाव प्रथाओं में तकनीकी हस्तक्षेप व उन्नयन कर हम मशीनों की उपलब्धता और अधिक बढ़ा सकते है।
कार्यशाला में एनसीएल के सभी निदेशकगणों ने भी अपने विचार रखे । कार्यक्रम में आईआईटी बीएचयू, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ॰ मोहम्मद जहीर खान यूसुफजई एवं डॉ॰ मेघांशु वशिष्ठ ने विस्तृत व्यख्यान दिये। कार्यशाला को 4 सत्रों में विभजित कर आयोजित किया गया जिसमें एनसीएल में मौजूदा मरम्मत प्रथाओं, मरम्मत सुविधाओं एवं उनमें सुधारात्मक बदलाव पर चर्चा की गई। साथ ही एनसीएल में अपनाई जा रही वैल्डिंग प्रथाओं व उनकी क्षमता वृद्धि की संभावनाओं पर भी मंथन हुआ। कार्यक्रम में एक संवाद सत्र का भी आयोजन रखा गया जहां खदानों में कार्य कर रहे कर्मियों ने वैल्डिंग एवं अन्य तकनीकी पहलूओं पर अपने प्रश्नों को रखा।
गौरतलब है कि एनसीएल की 10 खदानों में लगभग 1200 मशीनें तैनात हैं। खदानों में उत्पादन एवं उत्पादकता बनाए रखने हेतु उनका रखरखाव बेहद जरूरी है जिसमें केन्द्रीय कर्मशाला का महत्वपूर्ण योगदान है। एनसीएल अपने शोध एवं विकास के अंतर्गत मरम्मत क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ मरम्मत के तरीकों में सुधार, गुणवत्ता और विश्वसनीयता से जुड़े विषय पर एक प्रोजेक्ट कर रहा है, जिसका विश्लेषण कार्यशाला में किया गया।
कार्यशाला के आयोजन में महाप्रबंधक (सीडबल्यूएस) श्री संजय कुमार एवं उनकी टीम का विशेष योगदान रहा।